लफ़्ज़ों में था नहीं जो
अश्कों में बह गया
ढूँढा उसे पूरे अम्बर में,
अम्बर से भी पीछे कहीं वो छूट गया।
हमारी ही पलकों तले
छुप कर बैठा था वो,
ये दिल भी न पहचान पाया जिसे,
ऐसा गुमशुदा ख़्याल था वो।
ढूँढ़ ढूँढ़ कर जब हम थके नहीं थे
वो छुपे हुए थक गया था,
तक़ल्लुफ़ में खोया खोया सा
अपने आप को ढूँढ़ रहा था।
परदों के पीछे पुकार
साँसों को उसने आवाज़ लगायी,
तो ख़्वाबों ने मुस्कुरा कर कहा
"अरे रुको न मैं अभी आयी"।
पहाड़ों के नीचे और आसमां के ऊपर
हर तरफ़ खोज की,
पर किसी के हाथ ना लग जाऊं,
ऐसी ज़िद थी उसकी।
उसके होने का एहसास
उसके खो जाने के बाद हुआ,
अब मन में सवाल एक ही था
के न जाने वो हमसे ख़फ़ा क्यों हुआ।
खामोशियाँ हस्ते हस्ते रो पड़ीं,
नज़रें उसकी तलाश में लग गयी,
नक़ाब हिम्मत का ओढ़े ,
अफवाह सी उड़ती ये ज़िन्दगी
जाने कहाँ चली गयी।
अश्कों में बह गया
ढूँढा उसे पूरे अम्बर में,
अम्बर से भी पीछे कहीं वो छूट गया।
हमारी ही पलकों तले
छुप कर बैठा था वो,
ये दिल भी न पहचान पाया जिसे,
ऐसा गुमशुदा ख़्याल था वो।
ढूँढ़ ढूँढ़ कर जब हम थके नहीं थे
वो छुपे हुए थक गया था,
तक़ल्लुफ़ में खोया खोया सा
अपने आप को ढूँढ़ रहा था।
परदों के पीछे पुकार
साँसों को उसने आवाज़ लगायी,
तो ख़्वाबों ने मुस्कुरा कर कहा
"अरे रुको न मैं अभी आयी"।
पहाड़ों के नीचे और आसमां के ऊपर
हर तरफ़ खोज की,
पर किसी के हाथ ना लग जाऊं,
ऐसी ज़िद थी उसकी।
उसके होने का एहसास
उसके खो जाने के बाद हुआ,
अब मन में सवाल एक ही था
के न जाने वो हमसे ख़फ़ा क्यों हुआ।
खामोशियाँ हस्ते हस्ते रो पड़ीं,
नज़रें उसकी तलाश में लग गयी,
नक़ाब हिम्मत का ओढ़े ,
अफवाह सी उड़ती ये ज़िन्दगी
जाने कहाँ चली गयी।
I remember this one. :')
ReplyDeletecause its been recited to you a hundred times! :)
DeleteHaha yes. Also i read this in your voice.
DeleteAnd you replied at 4:25 AM.�� Why do you wake up this early!
Aapko himmat ka nakaab pehnne ki koi zaroorat nhi h.. himmat toh samay ke saath aa hi jaati h.. nakaab utarke dhundiye shayad wo jald mil jae :D
ReplyDeleteWaise ek sawaal tha aapse, afwah so udti ye Zindagi ka Kya Matlab ?
yaani afwaah ki speed pe chal rhi h zindagi (super fast!)
ReplyDeleteok! Thanks :) Any new post coming?
ReplyDeletevery soon! :)
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