जितना दोगे उतना कभी नहीं मिलेगा,
कभो थोड़ा ज़्यादा, तो कभी कम;
जिसे दोगे,
ज़रूरी नहीं वो उसे लौटाएगा;
जिससे लोगे,
उसे उसके हिस्से का पूरा पूरा
कभी नहीं दे पाओगे;
जिससे चाहोगे,
वो तुम्हारी चाहत नहीं समझ पायेगा;
जो तुमसे चाहेगा,
तुम उसकी चाहत ठुकरा दोगे।
कभी इसका हिसाब पूरा नहीं होगा।
इसलिये,
ये हिसाब-किताब बंद करो,
जो है तुम्हारे पास, जितना है,
जिस पर भी आ रहा है,
जिस पर भी आ रहा है,
उसे लुटा दो।
आज किसी को खुश कर दो।
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