Saturday, April 14, 2018

उसे फिर नज़र लग गयी


तुम्हारे घर पर नाचते-गाते समय
ही मैने उसे आखरी बार देखा था।
उस समय तो सही सलामत थी।
घर आकर फिर देखा तो मिली नहीं,
शायद, वहीं कहीं गिरी होगी।
किचन में कॉफी बनाने गयी थी ना में,
कहीं फ्रिज से दूध निकालते हुए
वहाँ तो नहीं रह गयी?
या हो सकता है के किताबें
निकालते हुए वहीं ड्रॉयर में छूट गयी होगी।
एक बार देख कर बताओ ना तुम
उसके बिना अजीब सा लग रहा है।
नज़र लगी गयी मेरी ‘मुस्कान’ को उनकी।
उस दिन के बाद से मिल ही नहीं रही।
तुम वहाँ जल्दी देखकर बताना,
अगर मिल जाए तो
संभाल कर रख लेना,
मैं कल आ कर ले जाऊँगी।  

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