Sunday, November 12, 2017

ठीक किया ना ?

कल रात एक बार फिर
मैं झूठ बोलने वाली थी,
कुछ ग़लत नहीं किया था मैंने,
मैं बस डर गयी थी।

पर तुमने मुझे रोक लिया।

हाँ जानती हूँ के तुम
ये सोच रहे होगे
के तुम्हारी-मेरी तो
लम्बे वक़्त से बात भी
नहीं हुई तो फिर कैसे ?
 मैंने एक लम्बी सांस ली,
अपने एक हाथ से
दूसरे हाथ को पकड़ा,
और उनकी हाँ में हाँ
न मिलाते हुए,
पहली बार,
अपने लिए लड़ी मैं।

कल रात एक बार फिर
मैं झूठ बोलने वाली थी,
पर तुम उसी वक़्त
मेरी यादों में आ गए।

और तुमने मुझे रोक लिया।





#IRememberEverything! :)

2 comments:

  1. Bhut acha kiya aapne. Waise aap itna acha likhti Hain. Kaise soch leti Hain ye sab. Aapse Milne ka man hota h par lagta h ki aapko khud kisi ki talash h. Ummeed karta hun aap unhe jaldi hi dhund lengi :)

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