Sunday, April 15, 2018

सुनो


सुनो,
और दिल करे तो हंस लेना,
ना करे तो बस मुस्कुरा लेना,
वो भी ना मान हो
तो ये सोच लेना के
मैं बुद्धू हूँ, बच्ची हूँ,
बिना सर-पैर की बातें करती हूँ,
कुछ भी कहती हूँ.
नहीं,
मैं बुरा नहीं मानूँगी.
तुम्हारे बारे में भी
बुरा नहीं सोचूँगी.
कुछ सवाल हो तो पूछ लेना,
ईत्मेनान से दुबारा समझा दूँगी.
तुम्हे बकवास लगे तो तुम
बेझिझक कह देना,
मैं फिर भी हल्का सा हंस लूँगी.

अच्छा अब बात तो सुनो,
शुक्रिया”,
मेरे यतीम ख्वाबों को सुन
उनकी झूटी ही सही
तारीफ करने के लिए;
मेरी बेगानी सी बातों पर
तकल्लुफ भरी ही सही
मुस्कान भेजने के लिए;
कुछ वक़्त के लिए ही सही
मुझे झेल लेने के लिए;
मेरी बेतुकी बातों को सुन लेने के लिए;
मेरी ज़िद्द को मान लेने के लिए;
मुझसे अपना छोटा सा डर
बाँट लेने के लिए.
शुक्रिया,
मुझे मुझी को
सौगात में लौटा देने के लिए.
अब, इन सब का मैं
पूरा ख़याल रखूँगी, पक्का.  

No comments:

Post a Comment