Tuesday, May 8, 2018

एक और मुलाक़ात


तुम्हारा आना, मुझसे मिलना, 
इतना घुल मिल जाना, 
जैसे भरी गर्मी में, 
बिन मौसम की खूबसूरत बरसात, 
जिसका आना या जाना तय नहीं, 
बस होने से है एक बड़ी मुस्कान. 
जैसे घबराए शेर को 

एक शेरनी का प्यार.  


"तुम न बड़ी खूबसूरत हो
उस सुहानी रात की माफिक मुलायम सी
जिनमें हवाएं सर्द होती हैं
और
तारों की छांव कोमल
अच्छा सुनो,
ये भरी गर्मी की अचानक बरसात है ना 
इसकी ठंडक है सिर्फ कुछ दिन की होती है 
फिर से दिन में धरती में आग होती
और रातों में आसमान में बेचैनी
तब तुम आती हो
उस दूर सागर से
चंदन की चादर ओढ़ के
अपने ऊपर कस्तूर की शाल डाल के
एक ठंडक बन के
मेरी रूहों को तर करने के लिए
उस दिन की बेचैनी को कम करने के लिए
मुझे लोरियाँ सुनाने के लिए
कानों में कुछ मीठा सा गुनगुनाने के लिए
अपने सफर की ढेर सारे किस्से लेकर
उन्हें रोमांच को चाशनी में घोल के
मेरे कानों को मीठा करने के लिए
और फिर मुझे गहरी नींद में ले जाने के लिए
अपने सपनों की दुनिया में 
अपने वंडर लैंड में 
जो सही गलत से परे है
पता है,
सारे दिन के पहर 
उस रात की इंतज़ार में काट लेता हूँ
और चाहता हूँ कि 
ज़िन्दगी भी ऐसे ही
मेरे गर्म धूप और तुम्हारी 
ठंडी छांव में गुजर जाए 
धीरे धीरे
आहिस्ता आहिस्ता
मुझे कोई जल्दबाजी नहीं"


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